वशिष्ठ सैनी कलेक्शन

ऐसी तकदीर न पाई थी कि तुमको पा सकता…
ऐसी याद्दाश्त न मिली थी कि तुमको भुला सकता..

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कोई वादा ना कर, कोई ईरादा ना कर!
ख्वाईशो मे खुद को आधा ना कर!
ये देगी उतना ही, जितना लिख दिया खुदा ने!
इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर!

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“नही है हमारा हाल,
कुछ तुम्हारे हाल से अलग,
बस फ़र्क है इतना,
कि तुम याद करते हो,
और हम भूल नही पाते.”

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पहाड़ चढ़ने का एक उसूल है….झुक के चलो , दौड़ो मत …..

ज़िंदगी भी बस…… इतना ही मांगती है………

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पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन …
बस इक औलाद की तकलीफ़ से माँ टूट जाती है

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लोग पूछते हैं.. कौन है वो जो तेरी ये हालत कर गया,
मैं मुस्कुरा के कहता हूँ.. उसका नाम हर किसी के लब पे अच्छा नहीं लगता !!!!

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अज़ब माहौल है हमारे मुल्क का…
मज़हब थोपा जाता है, इश्क रोका जाता है….!!

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चलता रहूँगा मै पथ पर, चलने में माहिर बन जाउंगा,
या तो मंज़िल मिल जायेगी, या मुसाफिर बन जाउंगा !

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बस रोशन करना जमानें को है मेरा मकसद यारों..
वो मुझ आफताब से ले या मेरे माहताब से ले…!!!

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यूं न पढ़िए कहीं कहीं से हमें,
हम इंसान हैं, किताब नही.

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आपनी जिंदगी मे एसी रानी नही आई,
जो इस बादशाह को अपना गुलाम बना सके…

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ना जाने कौन मेरे हक में दुआ पढ़ता है
डूबता भी हु तो समन्दर उछाल देता है…

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कैसी गुज़र रही है, सभी पूछते हैं,
कैसे गुजारता हूँ, कोई पूछता नहीं !!

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ज़िन्दगी देके भी नहीं चुकते
ज़िन्दगी के जो क़र्ज़ देने हों…!!!

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वजह नफरतों की तलाशी जाती हैं,
मोहब्बतें तो बिन वजह ही हो जाया करती हैं…!

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गिरना ही था जो आपको.. तो सौ मक़ाम थे.,
ये क्या किया.. कि निगाहों से गिर गए…….

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एहसास-ए-मुहब्बत के लिए… बस इतना ही काफी है,
तेरे बगैर भी हम,. तेरे ही रहते हैं…!!!!

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समझदार बनने की कोशिश में शरारत
भी खो बैठे
अब इस समझदारी में सबको साजिश नजर
आती है…

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निकलते है तेरे आशिया के आगे से,सोचते है की तेरा दीदार हो जायेगा,
खिड़की से तेरी सूरत न सही तेरा साया तो नजर आएगा…

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“देर रत जब किसी की याद सताए,
ठंडी हवा जब जुल्फों को सहलाये.
कर लो आंखे बंद और सो जाओ क्या पता,
जिसका है ख्याल वो खवाबों में आ जाये.”

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वादो से बंधी जंजीर थी जो तोड दी मैँने,
अब से जल्दी सोया करेँगेँ, मोहब्बत छोड दी मैँने..

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उसने पूछा सबसे ज्यादा क्या पसंद है तुम्हे

मैं बहुत देर तक देखता रहा उसे
बस ये सोचकर कि
खुद जवाब होकर उसने सवाल क्यूँ किया…!!

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दर्द दे कर इश्क़ ने हमे रुला दिया,
जिस पर मरते थे उसने ही हमे भुला दिया,
हम तो उनकी यादों में ही जी लेते थे,
मगर उन्होने तो यादों में ही ज़हेर मिला दिया.

********

कीसीका दिल दुखा कर जब भी दो पैसे
कमाता हु,
मुझे खुद रोटीओ से खुन की बू आने लगती है.

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दिल-दिल से मिले या न मिले हाथ मिलाओ..
हमको ये सलीक़ा भी बड़ी देर से आया…

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जिंदगी एक सजासी हो गई है, गम के सागर मे कुछ इस कदर खो गयी है,

तुम आजाओ वापिस ये गुजारिश है मेरी, शायद मुझे तुम्हारी आदत सी हो गई है ।

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“तुम आए ज़िंदगी मे कहानी बन कर,
तुम आए ज़िंदगी मे रात की चाँदनी बन कर,
बसा लेते है जिन्हे हम आँखो मे,
वो अक्सर निकल जाते है आँखो से पानी बन कर”

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लम्हा-लम्हा बनता जीवन, इस जीवन में कुछ लम्हे हैं!
इन लम्हों में से कुछ लम्हे, तेरे मेरे संग गुज़रे हैं!!!!

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लाख चाहूँ तो भी ये जान निकलती नहीं है
वो लौट के आने का वादा जो कर गए ह…

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हर दुआ मे शामिल तेरा प्यार है..
बिन तेरे लम्हा भी दुशवार है..
धड्कनों को तुझसे ही दरकार है..
तुझसे हैं राहतें.. तुझसे है चाहतें..

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सुबह का हर पल ज़िंदगी दे आपको
दिन का हर लम्हा खुशी दे आपको
जहा गम की हवा छू कर भी न गुज़रे
खुदा वो जन्नत से ज़मीन दे आपको

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आज कोई नया ज़ख्म नहीं दिया उसने ।
पता करो यारो वो खैरयत से तो है। !!!

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लोग पूछते हैं हमसे कि तुम अपने प्यार का इज़हार क्यों नहीं करते;
तो हमने कहा जो लफ़्ज़ों में बयां हो जाए हम उनसे प्यार उतना नहीं करते…

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मैं कुछ लम्हा और तेरे साथ चाहता था;
आँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता था;
सुना हैं मुझे बहुत चाहती है वो मगर;
मैं उसकी जुबां से एक बार इज़हार चाहता था।

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सपनो से दिल लगाने की आदत नहीं रही, हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,

ये सोच के की कोई मनाने नहीं आएगा, हमें रूठ जाने की आदत नहीं रही |

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मेरे दोस्तों ने इकट्ठा किया मेरे ही कत्ल का सामान,
मैंने उनसे कहा, यारो तुम्हारी नफरत ही काफी थी मुझे मारने के लिए……

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हमें रोता देखकर वो ये कह के चल दिए कि,
रोता तो हर कोई है क्या हम सब के हो जाएँ…

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सुन कर ग़ज़ल मेरी, वो अंदाज़ बदल कर बोले,
कोई छीनो कलम इससे, ये तो जान ले रहा है…….!!

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हम इतने खूबसुरत तो नही है मगर हाँ…!!
जिसे आँख भर के देख ले उसे उलझन मेँ डाल देते हॆ

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उसकी हसरत को मेरे दिल में लिखने वाले !
काश उसे भी मेरे नसीब में लिखा होता !!

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“मेरे इश्क में दर्द नहीं था पर दिल मेरा बे दर्द नहीं था, होती थी मेरी आँखों से नीर की बरसात, पर उनके लिए आंसू और पानी में फर्क नहीं था ”

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चप्पल घिस गइ चलते चलते पाँव मे पड़ गये छाले
कितना मुझे आजमायेगी मँजिल ,,,अब तो पास आले

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आपकी पलकों पर रह जाये कोई!
आपकी सांसो पर नाम लिख जाये कोई!
चलो वादा रहा भूल जाना हमें!
अगर हमसे अच्छा दोस्त मिल जाये कोई!

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कुछ लुटकर, कुछ लूटाकर लौट आया हूँ,
वफ़ा की उम्मीद में धोखा खाकर लौट आया हूँ |

अब तुम याद भी आओगी, फिर भी न पाओगी,
हसते लबों से ऐसे सारे ग़म छुपाकर लौट आया हूँ |

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मेरी तन्हाई मार डालेगी दे दे कर तानें मुझको
एक बार आ जाओ इसे तुम खामोश कर दो….

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सूकून का एक लम्हा भी मयस्सर नहीं मुझको…
मोहब्बत को सुलाता हूँ तो तेरी यादें जाग जाती है..

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“जीत की ख़ातिर बस जूनून चाहिए,
जिसमे उबाल हो ऐसां खून चाहिए,
ये आसमा भी आएगा जमी पर ,
बस इरादों में जीत की गूँज चाहिए……..!!!

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इक ज़ख़्मी परिन्दे की तरह जाल में हम हैं,
ऐ इश्क़ अभी तक तेरे जंजाल में हम हैं”

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आज हम भी एक नेक काम कर आए,
दिल की वसीयत किसी के नाम कर आए,
प्यार हैं उनसे ये जानते हैं वो……,
मज़बूरी थी जो झुकी नज़रों से इनकार कर आए.

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दिल में इंतजार की लकीर छोड जायेगे॥
आँखों में यादो की नमी छोड जायेगे,
ढूंढ़ते फिरोगे हमें एक दिन ……..
जिन्दगी में एक दोस्त की कमी छोड जायेगे.

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‘सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का
मैं एक कतरा हूँ तनहा तो बह नहीं सकता ”

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दो शब्द तसल्ली के भी नहीं मिलते इस शहर मैं
लोग दिल मैं भी दिमाग लिए फिरते हैं !!

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सफ़ाई देने में, और स्पष्ट करने में अपना समय बर्बाद न करें. लोग वही सुनते है, जो वे सुनना चाहते हैं….

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हम तो बस निशाने पर दिल रखना जानतें हैं
तेरे तरकश में कैसे कैसे तीर तुम जानो। ………!

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भूल जाना ‘मुझे’ इतना आसान नहीं है…
बातों बातो में ही बातों से निकल आऊंगा॥

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प्यार के दो मीठे बोल से खरीद लो मुझे ,
दौलत दिखाई तो सारे जहां की कम पड़ेगी…

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“क्यूँ ना गुरुर करता मैं अपने आप पे,

मुझे उसने चाहा… जिसके चाहने वाले हज़ारों थे…..

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“आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.”

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तुम ना अपनी ‘हद्द’ में रहा करो,
आजकल बे’हद्द’ याद आने लगे हो …!

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छोडो यह बहस और तकरार की बातें।
यह बताओं रात ख्वाबों में क्यों आये थे।।

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चाँद का मिजाज भी, तेरे जैसा है..
जब देखने की तम्मना होती है, नज़र नहीं आता…

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लहरों से खेलना तो समंदर का शौख है।
लगती है चोट कैसे, ये किनारो से पूछिए।

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बेमतलब की जिंदगी का अब सिलसिला ख़त्म …
अब जिस तरह की दुनियां , उस तरह के हम…

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मेरी न सही तो तेरी होनी चाहिए ,
तमन्ना एक की पूरी होनी चाहिए

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जैसा भी हूं अच्छा या बुरा अपने लिये हूं,
मै खुद को नही देखता औरो की नजर से….!!!!

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चलो दिल की अदला बदली कर लें,
तडप क्या होती है समझ जाओगे….

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तेरी सिर्फ एक निगाह ने खरीद लिया हमे,
बड़ा गुमान था हमे की हम बिकते नहीं।।

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मुझे ही नहीं रहा शौक ए मोहब्बत वरना ,

तेरे शहर की खिड़कियां इशारे अब भी करती हैं ।

********

खुल जाता है उस की यादों का बाज़ार सुबह सुबह,

बस मेरा दिन इसी रौनक में गुज़र जाता है ।

*********

हाथ देखने वाले ने तो परेशानी में डाल
दिया मुझे,

बोला के मौत नही किसी की याद मार डालेगी तुझे…

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अब ऩ कोई हमे मोहब्बत का यकीन दिलाये,
हमें रूह में भी बसा कर निकाला है लोगो ने…

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“न जाने कब खर्च हो गये , पता ही न चला,
वो लम्हे , जो छुपा कर रखे थे जीने के लिए”…

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मैं अगर चाहु भी तो शायद ना लिख सकूं उन लफ़्ज़ों को
जिन्हे पढ़ कर तुम समझ सको की मुझे तुम से कितनी मोहब्बत है!!!!!

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जिसको तलब हो हमारी, वो लगाये बोली,
सौदा बुरा नहीं !.. …बस “हालात” बुरे है !..

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फिर इश्क़ का जुनूं चढ़ रहा है सिर पे ,
मयख़ाने से कह दो दरवाज़ा खुला रखे !

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बहुत ही नाजो से चूमा उसने लबो को मेरे मरते वक्त।

कहने लगीमंजिल आखिरी है रास्ते मेँ कहीँ प्यास न लग जाए॥

*********

वक़्त बड़ा अजीब होता हे इसके साथ चलो तो किस्मत बदल देता हे …

ना चलो तो किस्मत को ही बदल देता हे…

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कल तेरा ज़िक्र आ गया घर में,,
ओर…घर देर तक महकता रहा.!!!!!

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जिस दिन भी तेरी याद टूट कर आती है “ऐ जान”

मेरी आँखों के साथ ये बारिश भी बरस जाती है…

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सागर के किनारो पे खजाने नहीं आते।
पल जो फीसल गये हाथ से वो दुबारा नहीं आते।

*********

अपनों की चाहतों में मिलावट थी इस कदर की……………..

मै तंग आकर दुश्मनों को मनाने चला गया…

*********

यूँ ही मौसम की अदा देखकर याद आया है,

किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसान, जाना|

********

ज़िन्दगी शायद कहीं फिर से रास्ते मिला दे,

मगर एक बात याद रखना कि “तुम मुझे खो चुके हो”|

*********

चुपके से नाम तेरे गुजार देंगे जिंदगी
लोगों को फिर बताएंगे, प्यार ऐसे भी होता है॥

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हम तस्लीम करते हैं, हमें फुर्सत नहीं मिलती,

मगर ये भी ज़रा सोचो, तुम्हें जब याद करते हैं, ज़माना भूल जाते हैं|

********

किसे सुनाँए अपने गम के चन्द पन्नो के किस्से,

यहाँ तो हर शक्स भरी किताब लिए बैठा हे…

*********

तूने तो रुला के रख दिया ए-जिन्दगी,,
जा कर पूछ मेरी माँ से, कितना लाड़ला था मैं….

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अजीब अँधेरा है ऐ इश्क तेरी महफिल मे ,
किसी ने दिल भी जलाया तो रौशनी न हुई…

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जिँदगी मेँ दोस्त नही,
बल्कि
दोस्त मेँ जिँदगी होनी चाहिए..

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उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमीं यकीन था, हमारा कुसूर निकलेगा

यकीन न आये तो एक बार पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वोह ज़ख्मों से चूर निकलेगा

*******

तेरे पास में बैठना भी इबादत
तुझे दूर से देखना भी इबादत …….
न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत….

********

“खुद को खो दिया हमने , अपनों को पाते पाते !

और लोग पूछते है , कोई तकलीफ तो नहीं” …..!!!

********

तकदीर के हाथों खुद को में जोड़ना नहीं चाहता,
मेरे दो हाथो का होसला में तोडना नहीं चाहता,
मौसम की तरह बदल जाती ये हाथो की लकीरें,
बंद मुट्ठी मेरी हरगिज़ मैं खोलना नहीं चाहता।

*******

हर एक चेहरे को ज़ख़्मों का आईना न कहो !
ये ज़िन्दगी तो है रहमत इसे सज़ा न कहो….!!

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“इन हसीनो से तो कफ़न अच्छा है,
जो मरते दम तक साथ जाता है,
ये तो जिंदा लोगो से मुह मोड़ लेती हैं,
कफ़न तो मुर्दों से भी लिपट जाता है.”

********

शायर तो हम
“दिल” से है….

कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया..

********

ज़ुल्म इतना ना कर के लोग कहे तुझे दुश्मन मेरा…!!
हमने ज़माने को तुझे अपनी “ जान ” बता रक्खा है…!!

********

“वक़्त बदलता है हालात बदल जाते हैं,
ये सब देख कर जज़्बात बदल जाते हैं

ये कुछ नही बस वक़्त का तक़ाज़ा है दोस्तो,
कभी हम तो कभी आप बदल जाते हैं.”

********

ए दिल ,चल एक सौदा करते हैं ,
मैं उसके लिए तड़पना छोड़ देता हूँ ,
तू मेरे लिए धड़कना छोड़ दे …!!

********

सब कुछ झूठ है लेकिन फिर भी बिलकुल सच्चा लगता है…
जानबूझकर धोखा खाना कितना अच्छा लगता है

********

घुटन क्या चीज़ है, ये पूछिये उस बच्चे से
“जो काम करता हैं ,इक खिलोने की दुकान पर “”

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जिनकी आंखें आंसू से नम नहीं, क्या समझते हो उसे कोई गम नहीं,

तुम तड़प कर रो दिये तो क्या हुआ, गम छुपा के हंसने वाले भी कम नहीं.

********

कदम डग मगा गये युही रास्ते से वरना सम्भलना हम भी जानते थे,
ठोकर लगी तोभी उस पत्थर से जिसे हम अपना खुदा मानते थे।।

********

तुझे मुफ़्त में जो मिल गये हम,
तू क़दर ना करें ये तेरा हक़ बनता है…

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खूबसूरती से धोका न खाइये जनाब…..

तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो…
मांगती तो…….. खून ही हे…….

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यूँ गलत भी नहीं होती चेहरों की तासीर लेकिन

लोग वैसे भी नहीं होते, जैसे नज़र आते है…..!!!!!!!!!!!!

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मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी,

यूं तो कहने को इन्सान बहुत हैं…….

********

बहुत जुदा है औरोँे से े मेरे दर्द की कहानीँ,

जख्म का कोई निशाँ नहीँ और दर्द की कोई इँतहा नहीँ।

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मुहमाँगा दाम दूंगा यारों…

मुझे इक ऐसे काबिल
सपेरे से मिलवा दो …

कि जो आस्तीन में छुपे
साँपों को बाहर निकाल सके ..

********

अजीज़ तो हम भी सब के थे,
फ़राज़
मगर सिर्फ उनके मतलब निकल जाने तक……..

********

क्यूँ लफ्ज़ ढूंढते हो मेरी ख़ामोशी में तुम

मेरी आखों मैं देखो , तुम्हे कई फसाने मिलेंगे.

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ऐसा लगता है, हर इम्तिहाँ के लिए,
किसी ने जिन्दगी को हमारा पता दे दिया है……

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राजा का बेटा भलेह ही नन्गा पैदा हुवा हो।।
पर होता तो वो राजकुमार ही है।।।।

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शायरी मे सिमटते कहाँ हैँ दिल के दर्द दोस्तों
बहला रहे हैँ खुद को जरा कागजो के साथ

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किसी भी मुशकिल का अब किसी को हल नही मिलता ,

शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नही निकलता ..

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कुछ रिश्तो में इन्सान अच्छा लगता है.
और कुछ इन्सानों से रिश्ता अच्छा लगता है..!!

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अरमान ही बरसो तक जला करते है हमेशा ,
इंसान तो इक पल मे खाक हो जाता है !!

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आहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानों का……
कहीं सपनों से लोगों का ऐतबार ना उठ जाए..

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चलो आज फिर मिटटी से खेलते है दोस्तों,
हमारी उम्र ही क्या थी जो दिलो से खेल बैठे.

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जानता हूँ दुनिया की हर एक रीत लेकिन,
अनजान बने रहना ही यहाँ बेहतर विकल्प है

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ए नसीब ज़रा एक बात तो बता…
तू सबको आज़माता है या मुझसे ही दुश्मनी है!

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बस यूँ ही लिखता हूँ, वजह क्या होगी,
राहत ज़रा सी, आदत ज़रा सी…

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मैंने कहा बहुत प्यार आता है तुम पर;
वो मुस्कुरा कर बोले और तुम्हे आता ही क्या है।

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विपरीत परस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं ,
तो कुछ लोग लोग रिकॉर्ड तोड़ते है

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क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज, हाल हमारा पूँछ कर..

हाल हमारा वही है, जो तुमने बना रखा है..

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हर रात को तुम इतना
याद आते हो के हम भूल गए हैं,
के ये रातें ख्वाबों के लिए होती हैं,
या तुम्हारी यादों के लिए|

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तरस जाओगे हमारे मुँहसे सुननेको एक लव्ज़
प्यारकी बात क्या, हम शिकायत भी ना करेंगे…

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“दूर हो जाने की तलब है तो शौक से जा…
बस याद रहे की मुड़ कर देखने की आदत इधर भी नहीँ…

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क्या हुआ.. जो मेरे लब तेरे लब से लग गए
माफ़ ना करो ना सही… बदला तो ले लो…

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मुहमाँगा दाम दूंगा यारों मुझे एक ऐसे काबिल सपेरे से मिला दो
के जो के आस्तीन में छुपे साँपों को बाहर निकाल सके…..

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आहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानों का……
कहीं सपनों से लोगों का ऐतबार ना उठ जाए..

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एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह..!

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तजुर्बे ने एक बात सिखाई है…

एक नया दर्द ही…
पुराने दर्द की दवाई है…!!

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“ना वोह आ सके ना हम कभी जा सके,
ना दर्द दिल का किसी को सुना सके.
बस बैठे है यादों में उनकी,
ना उन्होंने याद किया और ना हम उनको भुला सके.”

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“मुझे कुछ अफ़सोस नहीं के मेरे पास सब कुछ होना चाहिए था ।
मै उस वक़्त भी मुस्कुराता था जब मुझे रोना चाहिए था ।!!!!!

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न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर …..

तेरे सामने आने से ज़्यादा तुझे छुपकर
देखना अच्छा लगता है …!!!

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“साकी को गिला है की उसकी बिकती नहीं शराब..

और एक तेरी आँखें है की होश में आने नहीं देती.. .!”

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ये दबदबा,ये हुकुमत,ये नशा, ये दौलतें………

सब किरायदार है, घर बदलते रहते हैं…….

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क्या हुवा जो एक दिल टुटा…..
इससे मोहंबत का अंजाम तो सिखा…

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महोबत में मैंने किया कुंछ नहीं… बस लुटा दिया..,
उसके पसंद थी रोशनी..मैंने ख़ुद को जला दिया..!!!!

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पता है तुम्हारी और हमारी
मुस्कान में फ़र्क क्या है?
तुम खुश हो कर मुस्कुराते हो,
हम तुम्हे खुश देख के मुस्कुराते हैं………

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क़सूर उनका नहीं,जो मुझसे दूरियाँ बना लेते है….
रिवाज है ज़माने में,पढ़ी किताबें ना पढ़ने का.

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कुछ तो धड़कता है ,रूक रूक कर मेरे सीने में ..

अब खुदा ही जाने, तेरी याद है या मेरा दिल …

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तू वाकिफ़ नहीं मेरी दीवानगी से…
जिद्द पर आऊँ तो..ख़ुदा भी ढूंढ लूँ …

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मेरी दोनों कोशिशें कभी कामयाब ना हो सकी . .

पहला तुझे पाने की फिर तुझे भूल जाने की…

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ए दिल ,चल एक सौदा करते हैं ,
मैं उसके लिए तड़पना छोड़ देता हूँ ,
तू मेरे लिए धड़कना छोड़ दे …

*******

मैंने ज़माने के एक बीते दोर को देखा है
दिल के सुकून को और गलियों के शोर को देखा है
मैं जानता हूँ की कैसे बदल जाते हैं इन्सान अक्सर
मैंने कई बार अपने अंदर किसी ओर को देखा है।

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हमें तुमसे मोहब्बत न होती,,
सिर्फ दो ही हालत में…

या “तुम” बने न होते,
या ये दिल बना न होता…

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मुफ्त मे अहसान न लेना यारों ,,,
दिल अभी ओर भी सस्ते होंगे बाज़ार में …….!!!

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लत तुम्हारी लगी थी….
इलज़ाम.. शराब पर आया….

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वक़्त भी लेता है करवटें कैसी कैसी,
इतनी तो उम्र भी ना थी जितने सबक सीख लिए हमने..

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दुवाओ को भी अजीब इश्क है मुझसे यारा..

वो कबूल तक नहीं होती मुझसे जुदा होने के डर से….

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मेरे ऐब मुझे उंगलिओं पे गिनाओ यारो,
बस मेरी गैर- मौजूदगी मैं मुझे बुरा मत कहना..।।

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कुछ अरमान उन बारीश कि बुंद कि तरह होते है,
जिनको छुने कि ख्वाहिश में,हथेलिया तो गिली हो जाती ,
पर हाथ हमेशा खाली रेह जाते है….

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रिश्तों की ख़ूबसूरती एक दूसरे की बातें बर्दाश्त करने में है,

ख़ुद जैसा इन्सान तलाश करोगे तो अकेले रह जाओगे।

*******

याद आयेगी हमारी तो बीते कल को पलट लेना ..
यूँ ही किसी पन्ने में मुस्कुराते हुए मिल जायेंगे ..

******

ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,

लोगों ने सोच कर गुज़ार दी………..

******

कोई वादा ना कर, कोई ईरादा ना कर!
ख्वाईशो मे खुद को आधा ना कर!

ये देगी उतना ही, जितना लिख दिया खुदा ने!
इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर!

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उस मासूम शराब की मोहब्बत भी क्या खूब थी ।।
जालिम एक बार लबो पे लगी तो फिर कभी उसने बेवफाई ना की।।

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मुझे रुलाने की सारी कोशिशे नाकाम रही ना जिन्दगी तेरी ,
तुझे ये कोन समझाए कि दर्द से दोस्ती बेहिंतिआ हे मेरी।।।।

******

“हमारे आंसूं पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं,
उनकी इस अदा से वो दिल को चुराते हैं,
हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को,
इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं।”

******

आखिर मरामत करना हमने सीख ही लीया !

दिल पथ्थरो के बीच तुटना छोटी बात बन गई!

******

रोज़ इक ताज़ा शेऱ कहां तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज़ ही एक नयी बात हुआ करती है…

******

सुना है, खुदा के दरबार से कुछ फ़रिश्ते फरार हो गए,
कुछ तो वापस चले गए, और कुछ हमारे यार हो गए.

******

शाम भी खास है, वक़्त भी खास है,
तुझको भी एहसास है, तो मुझको भी एहसास है,
इससे जयादा मुझे और क्या चाहिए,
जब मैं तेरे पास, और तु मेरे पास है.

******

काश तकदीर भी होती किसी जुल्फ की तरह…

जब जब बिखरती संवार लेते…

******

इंसानी जिस्म में सैंकड़ों हैवान देखे हैं,

मैंने दिल में रंजिश रख महफ़िल में आये मेहमान देखे हैं|”

******

आंखों के किनारे भीगे नहीं,

तो वो समझे की रोए नहीं।

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क्लास में आख़िरी बेन्च पर जो कुरेद कर तुम्हारा नाम लिखा था,
ज़िन्दगी की सब से लम्बी कहानी वही तो थी ….

******

लगता है, मेरा खुदा मेहरबान है मुझ पर,
मेरी दुनीयाँ में आपकी मौजूदगी, यूँ ही तो नहीं.!

******

ना छेड़ किस्सा ए उल्फत ,
बड़ी लम्बी कहानी है ।।
मैं जमाने से नहीं हारा ,
बस किसी की बात मानी है…..

******

हम तो मुफ्त की सलाह दे कर बर्बाद हो गए;

अब तो आलम ऐसा है की मांगने पर भी खेरात नहीं देते…..

*******

ना ठुकरा मेरी दोस्ती मुझे गरीब समज कर ए दोस्त,
यह दौलत वाले खरीदार तो होते है,
लेकिन वफादार नही.

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