वशिष्ठ सैनी शायरी

पुरानी होकर भी खास होते जा रही है,
मोहब्बत बेशरम है बेहिसाब होते जा रही है।

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कमबख्त इस दिल को हारने की आदत हो गयी है!
वरना हमने जहाँ भी दिमाग लगाया फ़तेह ही पाई है!!

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उसने रात के अँधेरे में मेरी हथेली पे नाजुक सी ऊँगली से लिखा……
” मुझे प्यार है तुझसे ”

जाने कैसी स्याही थी ??? वो लफ्ज मिटे भी नही… और आज तक दिखे भी नही ………

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नतीजा बेवजह महफिल से उठवाने का क्या होगा,
न होंगे हम तो साकी तेरे मैखाने का क्या होगा।

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कौन कहता है कि दिल सिर्फ लफ्जों से दुखाया जाता है..
तेरी खामोशी भी कभी कभी आँखें नम कर देती हैं…

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“नीलाम कुछ इस कदर हुए,
बाज़ार-ए-वफ़ा में हम आज,,

बोली लगाने वाले भी वो ही थे,
जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे!!

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सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने
मेरी नींदों से….

या तो दोनों आते हैं …. या कोई नहीं आता !!!

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तेरे प्यार का सिला हर हाल मे देंगे,
खुदा भी माँगे ये दिल तो टाल देंगे,
अगर दिल ने कहा तुम बेवफा हो,
तो इस दिल को भी सीने से निकाल देंगे.

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मेरा हर लम्हा चुराया आपने,
आँखों को एक ख्वाब देखाया आपने,
हमें ज़िन्दगी दी किसी और ने,
पर प्यार में जीना सिखाया आपने.

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लोग कहते हैं कि
मेरा दिल पत्थर का है..

लेकिन कुछ लोग
ऐसे भी थे..

जो इसे भी तोड़ गए..!!

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मोहब्बत के बिना ज़िन्दगी फिजूल हैं, पर मोहब्बत के भी अपने उसूल हैं,
कहते हैं मिलती हैं मोहब्बत में बहुत उल्फ़ते, पर आप हो महबूब तो सब कबूल हैं.

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अब मैं रोज़ इक ताज़ा शेऱ कहां तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज़ ही एक नयी बात हुआ करती है…….

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चांद को देखो कीतना मीलता है हम दोनोसे.

तुझ जैसा हसीन और मुझ जैसा तनहा.

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पूछा था हाल उन्हॊने बड़ी मुद्दतों के बाद…
कुछ गिर गया है आँख में…कह कर हम रो पड़े…..

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बहुत मुश्किल से करते हैं तेरी यादों का कारोबार…
मुनाफा कम ही सही मग़र गुज़ारा हो ही जाता है…

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अभी कदम ही रखा था हमने मैखाने में

की आवाज़ आई….चला जा वापस ,

तुझे शराब की नहीं किसी के दीदार की ज़रूरत है….

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कुछ पल के लिए ही अपनी बाहों मे सुला लो ‘जान’ अगर आँख खुली तो उठा देना अगर ना खुली तो दफ़ना देना……!!!

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अब तो मुहब्ब्त भी सरकारी नौकरी जेसी लगती है ,
कम्भख्त हमारे जैसे गरीबो को तो मिलती ही नहीं..!!!

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इस दुनिया में कुछ अच्छा रहने दो,
बच्चों को बस, बच्चा रह ने दो …

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देना है ये दिल किसी को दान में यारो;
है कोई मस्त माल ध्यान में तो बताओ यारो…!!!

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तुम्हारा लक्ष्य अगर बडा हो और उस पे हंसने वाले न हो तो समझना लक्ष्य अभी छोटा है …………

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मोहब्बत मुक़द्दर है कोई ख्वाब नहीं,
ये वो अदा है जिसमे सब कामयाब नहीं..
जिन्हें पनाह मिली उन्हें उंगलियों पे गिन लो,
और जो बरबाद हुए उनका हिसाब नहीं..

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काश दिलों के भी यूं इलेक्शन होते!
हम यूँ ही जीत लेते तुझे बूथ केप्चर करके!!

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“रस्मों रिवाज की जो परवाह करते हैं,
प्यार में वो लोग गुनाह करते हैं
इश्क वो जुनून है जिसमें दीवाने
अपनी खुशी से खुद को तबाह करते हैं।”

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“तकदीर ने जैसा चाहा ढल गये हम,
यूं तो संभल कर चले थे फिर भी फिसल गये हम,
अपना यकीन है कि दुनिया बदल गयी,
पर सबका खयाल है कि बदल गये हम.”

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आप खुद ही अपनी अदाओं में ज़रा ग़ौर कीजिये…………….
……………………हम अर्ज़ करेंगे तो शिकायत होगी…………..

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इस दुनिया में वफ़ा करने वालों की कमी नहीं है…
बस प्यार ही उससे हो जाता है जो बेवफा हो। …

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वो एक रात जला तो उसे चिराग कह दिया !!!

हम बरसो से जल रहे हैं कोई तो खिताब दो……

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मेरी तलाश में क्यों भटक रहे हो…
जरा सा दिल में झांक कर देख लो…

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महसूस हो रहीँ है हवा मे उसकी खुशबु ,
लगता है मेरी याद मेँ वो सांसे ले रही है..!!

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“लफ़्ज़ों में क्या लिखूं
उस “रब” की तारीफ मैं,,,
“जो मांगू तो ‘नवाज़’ देता है,,
न मांगूं तो ‘बे-हिसाब’ देता है..”

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कभी-कभी इतना गुस्सा आता है कि मन करता है कि खुद
को ही मार डालूं, लेकिन ….फिर सोचता हूं कि इंडिया में अब शेर बचे ही कितने है…..!!!?

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ये आरज़ू थी कि ऐसा भी कुछ हुआ होता;
मेरी कमी ने तुझे भी रुला दिया होता;

मैं लौट आता तेरे पास एक लम्हे में;
तेरे लबों ने मेरा नाम तो लिया होता!

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सुना है दुआओं की क़ीमत नहीं होती
फिर भी कारोबार इसका खूब चलता है…..

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कौन है इस जहाँ मे जिसे धोखा नहीं मिला,
शायद वही है ईमानदार जिसे मौक़ा नहीं मिला…

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आइना देखा जब ,
तो खुद को तसल्ली हुई,
ख़ुदग़र्ज़ी के ज़माने में भी कोई तो जानता है हमें………

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हम भारतीयों के पास हर समस्या का समाधान होता है …

बस समस्या दूसरे की होनी चाहिए …

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“निगाहों से क़त्ल कर डालो, न हो तकलीफ
दोनों को,
तुम्हें खंजर उठाने की हमें गर्दन झुकाने
की”.

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नमक तुम हाथ में लेकर, सितमगर सोचते क्या हो,,
हजारों जख्म है दिल पर, जहाँ चाहो छिड़क डालो.

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सच बोलता हूँ तो टूट जाते हैं रिश्ते,
झूठ कहता हूँ तो खुद टूट जाता हूँ….

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“चलो दूर चलते है इस इंटरनेट से,
घर के रिश्ते “इंतजार” कर रहे है..!!

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चेहरे अजनबी हो भी जायें तो कोई बात नहीं लेकिन,
रवैये अजनबी हो जाये तो बड़ी तकलीफ देते हैं।

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वो रोई तो जरूर होगी खाली कागज़ देखकर..

ज़िन्दगी कैसी बीत रही है पूछा था उसने ख़त में…

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“खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती,

तो ना ख़ुदा होता कोई और न इबादत होती .

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जली रोटीयो पर बहूत शोर मचाया तूमने..
मां की जली ऊंगलीयो को देख लेते तो भूख
ही उड़ ग इ होती॥

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हर रिश्ते मे मिलावट देखीं,
कच्चे रँगों क़ी सजावट देखी।
लेकिन सालों-साल देखा है माँ को,
उसके चेहरे पर ना थकावट देखीं,
ना ममता मे मिलावट देखी।

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वक़्त छीन लेता है बहुत कुछ,
खैर मेरी तो सिर्फ मुसकराहट थी !!..

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शाम भी खास है, वक़्त भी खास है,
तुझको भी एहसास है, तो मुझको भी एहसास है,
इससे जयादा मुझे और क्या चाहिए,
जब मैं तेरे पास, और तु मेरे पास है.

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सिखा दिया दुनिया ने मुझे, अपनों पे भी शक करना,
मेरी फितरत में तो था, गैरों पे भरोसा करना ….!

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मैं दो पैग लगाता हूँ तो सेट हो जाता हूँ..
और वो बोलती है कि तुम आज कुछ अपसेट लग रहे हो |

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कहाँ तलाश करोगे तुम मुझ जैसा कोई…..

जो तुम्हारे सितम भी सहे…. और तुमसे मुहब्बत भी करे ॥

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ज़माने तेरे सामने मेरी कोई हस्ती नहीं,………लेकिन………

कोई खरीद ले इतनी भी ये सस्ती नहीं…

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“किसी को हमसफ़र नहीं मिला,
और किसी को रास्ता,
तमाम शहर ही किसी को ढूँढता मिला…….!!

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‘सब्र’ और ‘सच्चाई’ एक ऐसी सवारी है…..
जो अपने सवार को कभी गिरने नहीं देती…..
ना किसी के कदमो में…और
ना किसी की नज़रों में..

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कभी ऐसी भी बेरुखी देखी है तुमने
“”एय दिल “”
लोग आप से तुम , तुम से जान , और जान
से अनजान हो जाते हैं…

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मैं लौट आया था जिस दीवार पे दस्तक दे कर।
सुना है अब वहां दरवाज़ा निकल आया है।

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जैसा मूड़ हो वैसा मंजर होता है,
मौसम तो इंसान के अंदर होता है..

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मौत सिर्फ नामसे बदनामहै, वरना तकलीफ़तो जिंदगीही ज्यादा देती है.और बीवी बी सिर्फ नामसे बदनामहै वरना तकलीफ़ में सिर्फ वहीसाथ देती है….

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शायद इश्क उतर रहा है सिर से…..
मुझे अलफ़ाज नहीं मिलते शायरी के लिए….!!

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खुदा ने मुझे वफादार दोस्तों से नवाज़ा है ….
.
.
याद मैं ना करूँ,
तो कोशिश वो भी नहीं करते ….. !!

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हालात मेरे मुझसे ना मालूम कीजिये..
मुद्दत हुई मुझसे मेरा ही कोई वास्ता नहीं..

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मैनें भी बदल दिये हैं ऊसूल ए जिन्दगी;

अब जो याद करेगा, सिर्फ़ वो ही याद रहेगा;

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रोकने की कोशिश तो बहुत की पलकों ने,,,
पर इश्क मे पागल थे आंसू खुदखुशी करते रहे!!

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गम-ए-जुदाई में तड़पते उनकी आँखों से पूछा.. कुछ कहना है?उसने झपक झपक के कहा नहीं अब तो बस बहना है !

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तेरी चाहत तो मुक़द्दर है,
मिले न मिले;

राहत ज़रूर मिल जाती है,
तुझे अपना सोच कर…

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मेरी फितरत में नहीं अपना गम बयां करना…

अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ…तो महसूस कर…

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जब मुझे यकीन है के खुदा मेरे साथ है।
तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।”

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तू देख या न देख, तेरे देखने का ग़म नहीं ।

पर तेरी ये न देखने की अदा, देखने से कम नहीं.

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धीरे धीरे
प्यार का दर्द कम हुआ !
तेरे जाने का भी न गम हुआ !
जब पुछते है लौग मेरी प्यार की दासता !
हम कह देते है एक अफसाना था जो खत्म हुआ !

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अजीब नींद मेरे नसीब में लिखी है ,
पलकें बंद होती हैं तो दिल जाग जाता है !!

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मैं “किसी से” बेहतर करुं
क्या फर्क पड़ता है!
मै “किसी का” बेहतर करूं
बहुत फर्क पड़ता है!

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“अधूरे मिलन की आस हैं जिंदगी,
सुख – दुःख का एहसास हैं जिंदगी,
फुरसत मिले तो ख्वाबो में आया करो,
आप के बिना बड़ी उदास हैं जिंदगी.”

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में बहता पानी हु मेरा रास्ता
बदल सकते हो मेरी मंजिल नहीं

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आज फिर तन्हा रात में इंतज़ार है उस शख्स का,
जो कहा करता था तुमसे बात न करूँ तो नींदनहीं आती…

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वो कहते हैं सोच लेना था मुहब्बत करने से पहले।
अब उनको कौन समझाए सोच कर तो साजिश
की जाती हैं मुहब्बत नहीं।

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हर फूल को रात की रानी नही कहते,
हर किसी से दिल की कहानी नही कहते.
मेरी आँखों की नमी से समझ लेना,
हर बात को हम जुबानी नही कहते.

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टूट कर ना चाहना किसी को,

ये ‘जान’ ‘जान’ कहने वाले ही ‘जान’ लेते हेँ…

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मैं तो इसलिए चुप हूँ
कि तमाशा ना बन जाये…….!
और तुम ये समझ बैठे कि..
मुझे तुमसे गिला कुछ नहीं…….!

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परखना मत, परखने में कोई अपना नहीं रहता
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता

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अजब पहेलियां हैं हाथों की लकीरों में…
सफर ही सफर लिखा है हमसफर कोई नहीं…

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एक सफ़र ऐसा भी किआ हमने दोस्तों,
जिस में पावँ नहीं दिल थक गया !!!

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हर बार सम्हाल लूँगा, गिरो तुम चाहो जितनी बार ।

बस इल्तजा एक ही है, कि मेरी नज़रों से ना गिरना ।

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सफर में मुश्किलें आऐ,
तो हिम्मत और बढ़ती है।

कोई अगर रास्ता रोके,
तो जुर्रत और बढ़ती है।

अगर बिकने पे आ जाओ,
तो घट जाते है दाम अक्सर;

ना बिकने का इरादा हो तो,
कीमत और बढ़ती है।

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तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे,
मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया।।।

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“तूने फैसले ही फ़ासले बढ़ानेवाले किये है,
वरना कुछ ना था तुझसे ज़्यादा करीब मेरे………!!!

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मोहब्बत की आजमाइश दे दे कर थक गया हूँ ऐ खुदा;
किस्मत मेँ कोई ऐसा लिख दे, जो मौत तक वफा करे..

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ए रात मेरी तनहाई देख कर,,
मुझ पर मत हंस इतना वरना,

जिस दिन मेरा यार मेरे साथ होगा..
तू पल में गुज़र जायेगी…..!!

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हर रात को तुम इतना याद आते हो के हम भूल गए हैं,
के ये रातें ख्वाबों के लिए होती हैं, या तुम्हारी यादों के लिए!!!!!

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दील भी आज मुझे ये कह कर डरा रहा है,
करो याद उसे वरना मै धड़कना छोड़ दूँगा…!!!

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आपकी दोस्ती से हम मशहूर हुए,
आप के संग हँसने लगे तो आँसू दूर हुए,
बस आप जैसे दोस्त की बदौलत,
आज हम काँच से कोहिनूर हुए…

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जब गिला शिकवा अपनों से हो तो ख़ामोशी भली…,,,
अब हर बात पर जंग हो जरूरी तो नहीं,,,,,

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हसीन आँखों को पढ़ने का अभी तक शौक है मुझको,
.
मुहब्बत में उजड़ कर भी मेरी ये आदत नहीं बदली…

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“ऐ मौत उन्हें भुलाए जमाने गुजर गए,
आ जा कि जहर खाए जमाने गुजर गए…
ओ जाने वाले ! आ कि तेरे इंतजार में
रास्ते को घर बनाए जमाने गुजर गए…

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“उस दिन भि काहा था और
आज फिर सुन ले, सिरफ उमर ही छोटी है.
लेकिन, सलाम तो सारी दुनिया
ठोकती है….!!

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प्यार में कोई तो दिल तोड़ देता है;
दोस्ती मेँ कोई तो भरोसा तोड़ देता है;
जिंदगी जीना तो कोई गुलाब से सीखे;
जो खुद टूट कर दो दिलों को जोड़ देता है…..

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तेरी आँखों के इशारे मुझे एग्जिट पोल के नतीजों से लगते हैं ।
अब फ़ाइनल बता भी दे, तेरे दिल पर मेरी सरकार, कब से राज करेगी ।

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मत किया कीजे दिन के उजालों की ख्वाहिशें
दोस्त…
ये आशिक़ों की बस्तियाँ हैं यहाँ सूरज से नहीं
दीदार से दिन निकलता है…..

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रौशनी के लिए दिया जलता हैं ,
शमा के लिए परवाना जलता हैं,
कोई दोस्त न हो तो दिल जलता हैं,
और दोस्त आप जैसा हो जो ज़माना जलता हैं.

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अब भी चले आते हैं, ख्यालों में वो,

रोज़ लगती है हाज़री,

उस ग़ैर हाज़िर की !!!!

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“तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब अदा थी,,नमक भी अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़क कर.!!!!!

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हम सिर्फ इक तेरे दीदार की खातिर आते है गली में तेरी,

वरना हमारे लिए पूरा शहर पडा है, आवारगी करने को………

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विश्वास-एक छोटा शब्द है,
पढ़ो तो सेकंड लगेगा,
सोचे तो मिन्ट लगेगा,
समझे तो दिन लगेगा,
और
साबित करने में पुरी जिंदगी लग सकती है.

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मोहब्बत भी उस मोड़ पे पहुँच चुकी है कि

अब उसको प्यार से भी मैसेज करो, तो वो पूछती है,”कितनी पी है?”

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”दोनों ही भागीदार हैं बराबर इस जुर्म मैं…”
”मैं मुस्कराया तब था जब नजर तुमने मिलाई
थी…”

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अब जब जलेबी की तरह उलझ ही गयी है जिंदगी……
तो क्यों ना चाशनी में डूब के मज़ा ले लिया जाये।!!!!

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आज भी कितना नादाँ हे दिल समझता ही नही…..
बरसो बाद भी उन्हें देखा तो दुवाए मांग
बेठा…..!!!!

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मेरी दोस्ती के जादू से
तुम अभी वाकिफ नहीं हो
हम जीना सिखा देते है उसे भी
जिसने मरने के ठानी हो …

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जब भी वो उदास हो उसे
मेरी कहानी सुना देना ,
मेरे हालात पर हंसना उसकी पुरानी आदत
है .

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हम कुछ इस तरह बिगड़े हुए खिलाडी है की..
अगर सामने वाले के पास तीन AAA
भी हो तो भी show उस्सी से करवाते है.

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हमारा हक तो नही है फिर भी ये तुमसे कहतेहै …..
हमारी जिँदगी ले लो मगर उदास मतरहा करोँे………

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दूर जाके भी सकूं न मिला ….
पास रहते थे तो कहते थे तुम परेशान करते हो।

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ना पीने का शौक था, ना पिलाने का शौक था,
हमे तो सिर्फ नझर मिलाने का शौक था,
पर क्या करे यारो, हम नझर ही उनसे मिला बैठे,
जिन्हे; सिर्फ; नझरो से पिलाने का शौक था!

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मेरे तो दर्द भी औरो के काम आते है…..

मै रो पङुं तो कई लोग मुस्कराते है !!!

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कभी नही पड़ सकता यारो मैखाने को ताला..
एक दो चार नही हें सारा शहर हें पिने वाला …….

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काश ! बचपन में तुझे मांग लेते,
हर चीज़ मिल जाती थी,
दो आँसू बहाने से…

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मैंने ज़िन्दगी से कुछ नहीं माँगा “तेरे सिवा”….
और ज़िन्दगी ने मुझे सब कुछ दिया “तेरे
सिवा”…..

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दिल को आता है जब भी ख़याल उनका,
तस्वीर से पूछते हैं फिर हाल उनका.

वो कभी हमसे पुछा करते थे जुदाई क्या है,
आज समझ आया है सवाल उनका…

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चलतें तो हैं वो साथ पर अंदाज देखिए..
जैसे की इश्क करके वो एहसान कर रहें है..

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मैं अगर चाहु भी तो शायद ना लिख सकूं उन लफ़्ज़ों को

जिन्हे पढ़ कर तुम समझ सको की मुझे तुम से कितनी मोहब्बत है!!!!!

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माना कि तेरे शहर में ग़रीब कम होंगे ,,
अगर बिकी तेरी दोस्ती तो पहले ख़रीददार हम होंगे ….

तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत पर ,,
पर तुझे पाकर सबसे अमीर होंगे……….!!

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मुस्कुराना तो मेरी सक्शियत का हिस्सा है दोस्तो….

तुम मुझे खुश समझ कर दुवाओं में भूल मत जाना ….

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तड़प के देखो किसी की चाहत में,
तो पता चलेगा, कि इंतजार क्या होता है,
यूं ही मिल जाए, कोई बिना चाहे,
तो कैसे पता चलेगा, कि प्यार क्या होता है.

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तकदीर को जब बदलना है,बदल जायेगी…
फिलहाल लगा हुआ हुँ आदत बदलने में”!

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“फ़ोन के रिश्ते भी अजीब होते हैं,
बैलेंस रखकर भी लोग गरीब होते हैं,
खुद तो मैसेज करते नहीं, मुफ्त के मैसेज पढ़ने के शौक़ीन होते हैं”

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लगभग सभी व्यक्ति कठिनाई को झेल सकते हैं. पर अगर आपको उनका चरित्र जानना हो. तो उन्हें शक्ति दे दीजिये.

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जाते हुए उसने सिर्फ इतना कहा था मुझसे

…..ओ पागल …

अपनी ज़िंदगी जी लेना, वैसे प्यार अच्छा करते हो..

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लोग कहते है की दुनिया की सबसे सख्त सजा है इंतज़ार,
पर ये जिंदा रहने का एक बहाना भी तो है….

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हम जा रहे हैं वहां जहाँ दिल की हो क़दर ,
बेठे रहो तुम अपनी अदायें लिये हुए ……..!!

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अंजाम कि परवा होती तो हम इश्क करना छोड
देते…..
इश्क ज़िद करता है और ज़िद के हम पक्के
है….!

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फिर उसने मुस्कुरा के देखा मेरी तरफ़ !

फिर एक ज़रा सी बात पर जीना पड़ा मुझे ।

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